खुफिया एजेंसियां किसी भी देश की सुरक्षा में अपना एक अलग महत्व रखती हैं। भारतीय खुफिया एजेंसी राॅ (RAW) हैं। क्या आप जानते हैं यह काम कैसे करता हैं? आपने रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) पर बहुत सी फिल्में भी देखी होगी लेकिन असलियत में इसके बारे में आपको कुछ भी नही पता होगा। तो आइये हम बताते है आप को कुछ रॉ (RAW) के बारे में दिलचस्प रोचक तथ्य |
रॉ (RAW) का कानूनी दर्जा अभी भी अस्पष्ट ही हैं। आखिर क्यों रॉ एक एजेंसी नहीं बल्कि विंग हैं?
अगर आपने इस एजेंसी के बारे में खबरों में या कहीं और ज़्यादा कुछ नहीं सुना है, तो आप इससे अंदाज़ा लगा सकते है कि यह वास्तव में कितना गुप्त हैं।
रॉ (RAW) का गठन 1962 के भारत-चीन युद्ध और 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद तब किया गया, जब इंदिरा गांधी सरकार ने भारत की सुरक्षा की जरूरत को महसूस किया।
रॉ (RAW) का गठन 1962 के भारत-चीन युद्ध और 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद तब किया गया, जब इंदिरा गांधी सरकार ने भारत की सुरक्षा की जरूरत को महसूस किया।
रॉ (RAW) का सिद्धांत ‘धर्मो रक्षति रक्षितः’ है, जिसका मतलब है कि जो शख्स धर्म की रक्षा करता है वह हमेशा सुरक्षित रहता हैं।
राॅ (RAW) पर RTI नही डाल सकते, क्योंकि यह देश की सुरक्षा का मामला हैं।
राॅ (RAW) में शामिल होने के लिए आपके माता-पिता भारतीय होने जरूरी हैं।
राॅ (RAW) सीधी अपनी रिपोर्ट प्रधानमंत्री को भेजती है. इसके डायरेक्टर का चुनाव, सेक्रेटरी(रिसर्च) द्वारा होता हैं।
ऐसे प्रत्याशी जिनका चुनाव रक्षा बलों से हुआ हो उन्हें इसमें शामिल होने से पहले अपने मूल विभाग से इस्तीफा देना आवश्यक हैं।
मिशन पूरा होने के बाद, अधिकारी को अनुमति होती है कि वह अपने मूल विभाग में वापस शामिल हो सकते हैं. अगर आपके पास इतना शौर्य नहीं बचा है तो आप बेशक वापस जा सकते हैं।
राॅ (RAW) में शामिल होना कोई मालामाल होना नही हैं, वो आदमी इससे दूर ही रहे जो रिश्वत लेने वाले या लालची हो।
सिक्किम को भारत में शामिल करने का श्रेय भी बहुत हद तक रॉ को जाता हैं। रॉ ने वहां के नागरिकों को भारत समर्थक (प्रो इंडियन) बनाने में अहम भूमिका निभाई।
यह साबित करने के लिए हमेशा तैयार रहें कि आप दिन के चौबीसों घंटे, हफ्ते के सातों दिन, किसी भी परिस्थिति में काम कर सकते हैं और खुद को उन परिस्थितियों के अनुरूप ढाल सकते हैंं।
आपका राॅ में शामिल होने का सपना पूरा होने पर एक राज होना चाहिए और ये राज किसी को न बताएं।
यह एक डेस्क में बैठकर काम करने वाली नौकरी नहीं है। आप किसी मिशन पर हो, तो पूरी सम्भावना है कि आपके परिवार को भी नहीं पता होगा कि आप कहाँ हैं।
अगर आप किसी खेल में अच्छे हैं तो यहाँ आपके प्रवेश के अवसर को बढ़ा देती हैं.अपने विभाग से कुछ भी छिपाने की कोशिश न करें. अगर आपको लगता है कि होशयारी में आप उसे मात से सकते हैं तो आप गलत हैं।
चीनी, अफगानी या किसी दूसरी भाषा का ज्ञान आपको दूसरो से ऊपर खड़ा करता हैं।
भारत की खुफिया एजेंसी अपने आप ही आप तक पहुंचेगी, उन्हें खोजने की कोशिश मत करिए।
एक जासूस के राज़ उसकी मौत के साथ ही दफन हो जाते हैं, यहां तक कि उसकी पत्नी को तक नहीं पता होता कि उसका पति एक रॉ एजेंट हैं।
एक रॉ जासूस की ज़िन्दगी, फिल्मों में दर्शाई गई जासूस की ज़िन्दगी से कहीं से भी मेल नहीं खाती. लेकिन जासूसी में अव्वल होते हैं।
भारत के परमाणु कार्यक्रम को गोपनीय रखना रॉ की जिम्मेदारी थी।
रॉ (RAW) में ड्यूटी पर तैनात अधिकारी को बंदूक नहीं मिलती। बचाव के लिए ये अपनी तेज बुद्धि का इस्तेमाल करते हैं।
रॉ (RAW) का गठन अमेरिकी के सीआईए की तर्ज पर ही किया गया हैं, इसके ऑफिशल्स को अमेरिका, यूके और इजरायल में ट्रेनिंग ली जाती हैं।
राॅ (RAW) में शामिल होने का सबसे अच्छा तरीका हैं UPSC पास करो और IPS या IFS पद पर कार्यरत हो जाओ।
यदि राॅ (RAW) का एजेंट देश की सेवा करते हुए दुश्मन देश में पकड़ा जाए तो अपने देश की सरकार ही उनसे पल्ला झाड़ लेती है, उनकी किसी तरह की कोई सहायता नहीं करती हैं। और अंत में जब उनकी दुशमन देश में मौत हो जाती है तो उनको अपने वतन की मिट्टी तक नसीब नहीं होती हैं। कुछ ऐसा ही हुआ था भारत के रविन्द्र कौशिक के साथ।