नूपुर शर्मा पर टिप्पणी करने वाले सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) के जज जे बी पारदीवाला (Judge JB Pardiwala) ने सरकार को बोला है कि वो सोशल मीडिया पर लगाम लगाने के लिए कानून बनाए.
- जस्टिल पारदीवाला सोशल मीडिया पर निजी हमलों के बारे में कहा कि आधा सच, अधूरी जानकारी रखने वाले लोग और कानून के शासन, सबूत, न्यायिक प्रक्रिया और सीमाओं को नहीं समझने वाले लोग हावी हो गए. जस्टिल जेबी पारदीवाला ने कहा कि सरकार को सोशल मीडिया को रेगुलेट करने पर विचार करना चाहिए. उन्होंने कहा कि संवेदनशील मामलों में सोशल मीडिया द्वारा ट्रायल न्यायिक प्रक्रिया में अनुचित हस्तक्षेप है और संसद को इसके नियमन के लिए कानून लाना चाहिए.
- जज ने कहा कि कोर्ट कंस्ट्रक्टिव आलोचनाओं को स्वीकार करती है, लेकिन जजों पर निजी हमले स्वीकार नहीं हैं. जस्टिल जेबी पारदीवाला (JB Paradiwala) ने कहा कि भारत पूरी तरह से परिपक्व और शिक्षित लोकतंत्र नहीं है, यहां विचारों को प्रभावित करने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया जा रहा है.
- जज जेबी पारदीवाला(JB Paradiwala) ने कहा है कि कानून का शासन भारतीय लोकतंत्र की सबसे विशिष्ट विशेषता है. जनता की राय को कानून के अधीन होना चाहिए. मेरा विश्वास है कि किसी भी मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय को केवल ‘कानून का शासन’ ध्यान में रखकर ही फैसला करना चाहिए. न्यायिक फैसले जनता की राय से प्रभावित नहीं हो सकते.
- जज जेबी पारदीवाला(JB Paradiwala) अपने फैसलों और टिप्पणियों से चर्चा में रहने वाले सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) के जज ने कहा है कि “लोगों की आवाज भगवान की आवाज है” मुहावरे को गलत तरीके से उद्धृत किया गया है. यह मूल रूप से निराशाजनक तरीके से कहा गया था. इसका मूल उद्धरण चार्ल मैग्ने के समय का है. इस दौरान जज ने कहा कि लोग क्या कहेंगे और लोग क्या सोचेंगे एक ऐसी पहेली है जो हर जज को परेशान करती है.
- पारदीवाला ने यहां तक कहा कि एक तानाशाही सरकार भी दावा कर सकती है कि वह कानून द्वारा शासन करती है क्योंकि कानून है और उनका पालन किया जाता है. कानून के शासन की बारीकी से जांच की जानी चाहिए.