क्या आप जानते है कि हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) की रचना किसने की होगी। हर हिंदू घर में तकरीबन हनुमान चालीसा रहती ही है। ज्यादातर हिंदू हनुमान चालीसा का रोज पाठ भी करते हैं। किंवदंती(जनश्रुति) है कि हनुमान चालीसा लिखने वाले को सम्राट अकबर ने जेल में डाल दिया था, जिसके बाद बंदरों के उत्पात के बाद उन्हें रिहा करना पड़ा था। मान्यता है कि हनुमान चालीसा के रचयिता तुलसीदास जी हैं। उनके नाम से तो हर कोई परिचित है। उन्होंने ही रामचरित मानस भी लिखा था। तुलसीदास जी ने किन हालात में इसे लिखा, इसे लेकर कई किंवदंतियां (जनश्रुति) प्रचलित हैं।
कहा जाता है कि गोस्वामी तुलसीदास जी को हनुमान चालीसा(Hanuman Chalisa) लिखने की प्रेरणा मुगल सम्राट अकबर की कैद से मिली। किंवदंती है कि एक बार मुगल सम्राट अकबर ने गोस्वामी तुलसीदास जी को शाही दरबार में बुलाया। तब तुलसीदास की मुलाकात अब्दुल रहीम ख़ान-ए-ख़ाना और टोडर मल से हुई। उन्होंने काफी देर तक उनसे बातचीत की। वह अकबर की तारीफ में कुछ ग्रंथ लिखवाना चाहते थे। तुलसीदास जी ने मना कर दिया। तब अकबर ने उन्हें कैद कर लिया। कहते है कि तुलसीदास की जेल से रिहाई भी फिर अजीब तरीके से हुई। फतेहपुर सीकरी में ये किंवदंती भी प्रचलित है।
बनारस के पंडित भी इससे मिलती-जुलती एक और कहानी बताते हैं। एक बार बादशाह अकबर ने तुलसीदास जी को दरबार में बुलाया। अकबर ने तुलसीदास जी से कहा कि मुझे भगवान श्रीराम से मिलवाओ। तब तुलसीदास जी ने कहा कि भगवान श्री राम सिर्फ भक्तों को ही दर्शन देते हैं। यह बात सुनते ही अकबर ने तुलसीदास जी को कारागार में डलवा दिया।
कहते है की जेल में ही तुलसीदास जी ने अवधी भाषा में हनुमान चालीसा लिखी। और उसी दौरान ही फतेहपुर सीकरी के जेल के आसपास ढे़र सारे बंदर आ गए। उन्होंने बड़ा नुकसान किया। तब मंत्रियों की सलाह मानकर बादशाह अकबर ने तुलसीदास जी को जेल से मुक्त कर दिया।
हनुमान चालीसा को दुनिया में सबसे ज्यादा बार पढ़ी जाने वाली पुस्तिका माना जाता है। इसमें हनुमान जी के गुणों एवं कामों का अवधी में बखान है। इस हनुमान चालीसा(Hanuman Chalisa) में चालीस चौपाइयों में ये वर्णन है, इसीलिए इसे चालीसा कहा गया। इसमें 40 छंद भी हैं।
कहा जाता है कि जब पहली बार तुलसीदास ने इसका वाचन किया तो हनुमान जी ने खुद इसे सुना। NDTV वेबसाइट की एक रिपोर्ट के अनुसार, हनुमान चालीसा को सबसे पहले खुद भगवान हनुमान ने सुना था। प्रसिद्ध कथा के अनुसार जब तुलसीदास ने रामचरितमानस बोलना समाप्त किया तब तक सभी व्यक्ति वहां से जा चुके थे लेकिन एक बूढ़ा आदमी वहीं बैठा रहा। वो आदमी और कोई नहीं बल्कि खुद भगवान हनुमान थे।
हनुमान चालीसा की शुरुआत दो दोहे से होती जिनका पहला शब्द है ‘श्रीगुरु’, इसमें श्री का संदर्भ सीता माता है जिन्हें हनुमान जी अपना गुरु मानते थे। हनुमान चालीसा के पहले 10 चौपाई उनके शक्ति और ज्ञान का बखान करते हैं। 11 से 20 तक के चौपाई में उनके भगवान राम के बारे में कहा गया, जिसमें 11 से 15 तक चौपाई भगवान राम के भाई लक्ष्मण पर आधारित है। आखिर की चौपाई में तुलसीदास ने हनुमान जी की कृपा के बारे में कहा है।
अंग्रेजी के अलावा भारत की सभी भाषाओं में हनुमान चालीसा(Hanuman Chalisa) का अनुवाद हो चुका है। और हनुमान चालीसा गीता प्रेस द्वारा सबसे ज्यादा छापी जाने वाली पुस्तिका है।
न्यूज़ डेस्क – ग्रेट नेशन न्यूज़