Who was Mukhtar Ansari :
उत्तरप्रदेश के माफिया डॉन मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) की कल 29 मार्च 2024 को बांदा जेल मर हार्ट अटेक आने से मौत हो गई. वो काफी समय से बीमार भी था. उत्तरप्रदेश के लोगों ने वो दौर भी देखा जब माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के नाम से सब काँप जाये करते थे. माफिया मुख्तार अंसारी यूपी से 5 बार विधायक भी रह चुका था. मुख्तार अंसारी जेल में 2005 से सजा काट रहा था. अलग-अलग मामलों में मुख्तार अंसारी को 2 बार उम्रकैद हुई थी. माफिया मुख्तार अंसारी ने हाल ही में कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर आरोप लगाया था कि उसे जेल में धीमा जहर दिया जा रहा है. मुख्तार अंसारी 60 साल के थे.
कैसे बना मुख्तार अंसारी माफिया डॉन
मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) का जन्म गाजीपुर जिले के मोहम्मदाबाद में 3 जून 1963 को हुआ था. माफिया मुख्तार अंसारी के दादा डॉक्टर मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता सेनानी थी. मुख्तार अंसारी के नाना ब्रिगेडीयर मोहमद उस्मान को 1947 की लड़ाई में शहादत के लिये महावीर चक्र दिया गया था. मुख्तार अंसारी के पिता का नाम सुबाहउल्लास अंसारी था और माता का नाम बेगम रबीया था. मुख्तार अंसारी के पिता गाजीपुर की राजनीती में काफी साफ सुथरी छवि के थे. मुख्तार अंसारी के चाचा हामिद अंसारी भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति रह चुके है.
मुख्तार अंसारी का अपराध की दुनिया में कदम
मुख्तार अंसारी के खिलाफ 65 आपराधिक मामले दर्ज थे. इनमें से 15 से ज्यादा हत्या के मामले थे. 1980 के दौर में लोकल गैंग्स में सरकारी ठेके लेने की होड़ थी. मुख्तार अंसारी मखानू सिंह नामक गैंग में था. इस गैंग की दुश्मनी ब्रजेश सिंह गैंग से चल रही थी. 1990 के दशक में मुख्तार अंसारी ने अपना गैंग बना लिया. उसने कोयला खनन, रेलवे जैसे कामों में 100 करोड़ का कारोबार खड़ा कर लिया. फिर वो गुंडा टैक्स ,जबरन वसूली और अपहरण के धंधे में भी आ गया. उसका दबदबा मऊ, गाजीपुर, बनारस और जौनपुर में एक्टिव था.
बीजेपी एमएलए कृष्णानंद राय की हत्या
2005 में बीजेपी एमएलए कृष्णानंद राय की हत्या मुख्तार अंसारी ने जेल में रहते हुए ही करवाई, इस हमले में कृष्णानंद राय के साथ उनके 6 लोग भी मारे गए. ये हमला AK-47 से हुआ और करीब 400 राउंड फायरिंग हुई. मृतकों के शरीर से 67 कारतूस बरामद हुए. में रहते हुए करवाई, इस से पहले 2002 में कृष्णानंद राय ने मुख्तार अंसारी को विधानसभा चुनाव में हराया था.
मुख्तार अंसारी की गाड़ी की चेकिंग
27 फरवरी 1996 को पुलिस को खबर मिली थी कि एक गाड़ी UP 61/8989 में हथियार के साथ कुछ लोग गड़बड़ी कर सकते हैं. पुलिस चेकिंग में जब एक गाड़ी को रोका तो उस जीप पर बसपा जिलाध्यक्ष लिखा हुआ था और उसमे सवार था मुख्तार अंसारी था. इंस्पेक्टर द्वारा गाड़ी रोकते ही मुख्तार अंसारी ने कहा कि किसकी औकात है जो मुख्तार की गाड़ी की चेकिंग करे और यह कहते हुए फायरिंग शुरू कर दी. जबाबी करवाई में पुलिस ने भी गोली चलाई जिसमें जीप का टायर पंचर हो गया और एक व्यक्ति गाड़ी से कुदा उसके पैर में गोली लग गई. लेकिन मुख्तार अंसारी तीन पाहियों पे ही गाड़ी ले के भाग गया. पुलिस ने जब घायल व्यक्ति को जेल पहुंचाया तो पता चला वो अपनी रायफल के साथ गाजीपुर जेल का सिपाही साहेब सिंह था. इतना ही नहीं एक बार मुख्तार अंसारी के पास से दूसरे जेल के सिपाही उमा शंकर की 315 बोर की बन्दुक मिली. मुख्तार अंसारी जेल के सिपाहीयो को गाय भैंस खरीद के गिफ्ट देते और बन्दुक लाइसेंस बनवा के देते फिर वोही सिपाही ड्यूटी के बाद लाइसेंस बन्दुक से मुख्तार अंसारी की सेक्योरिटी बन जाते.
मुख्तार अंसारी ने कोर्ट रूम में आईपीएस पर गोली चलाई
मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) एक मामले में पेशी के दौरान कोर्ट रूम में उस टाइम के IPS अधिकारी से सामना हो गया था, जिसके बाद उसने IPS अधिकारी पर वहीं फायरिंग कर दी थी. इस मामले में मुख्तार अंसारी को 10 साल कैद की सजा मिली थी. लेकिन मुख्तार अंसारी ने कृष्णानंद राय हत्याकांड, नंद किशोर रूंगटा हत्याकांड या फिर IPS अधिकारी पर हमला, इन सभी केस में मुख्तार अंसारी ने गवाहों को डराकर, तोड़कर, धमकाकर या उनकी हत्या करवाकर छूट गया था. उसके बाद मुख्तार अंसारी को सजा मिली क्यों की उस टाइम परिस्थितिया कुछ बदल गई थी.